मेचुका (मेनचुखा) घाटी, अरुणाचल प्रदेश घुमने की 5 बेहतरीन जगहें

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मेचुका घूमने की 5 सबसे बेहतरीन जगहें

मेचुका जिसको मेनचुखा घाटी या पाचकश्री के नाम से जाना जाता है. यह अरुणाचल प्रदेश का ही नहीं देश के सबसे ज्यादा खूबसूरत जगहों में से एक है. यह डिस्ट्रिक्ट नार्थवेस्ट 47 किलोमीटर दूर है मेचुका और यहाँ 400 साल पुराना यह बौद्ध मठ से लेकर कैंपिंग तक मेचुका (मेनचुखा) घाटी, अरुणाचल प्रदेश घुमने की 5 बेहतरीन जगहें। जहाँ हर किसी को मेरी तरह के बार जाना चाहिए.

प्राकृतिक खूबसूरती के मामले में अरुणाचल प्रदेश देश का सबसे अच्छा प्रदेश है. यहाँ पर कई जगह ऐसे है जो उत्तराखंड और कश्मीर से ज्यादा खूबसूरत है, लेकिन नार्थ और साउथ से दूर होने की वजह से यहाँ सैलानी कम जाते है. मुझे पिछले साल इसी (मई) महीने में जाने का मौका मिला, मैं खाश तौर पर प्राकृतिक रूप से बने हनुमान फेस को देखने के लिए मेचुका गई, लेकिन वह और भी जगह मुझे खाशा पसंद आये जैसे सिको-डिडो झरना, यारलुंग व्यू पॉइंट और सियांग नदी का खूबसूरत नज़ारा.

1. प्राचीन मेचुका मठ

मेचुका घाटी से करीब 10000 फ़ीट की ऊंचाई पर बने इस 400 साल पुराने प्राचीन मेचुका मठ से पूरे घाटी का मनोरम दृश्य दिखाई देता है. मेचुका के स्थानीय लोग इसको समतेन योंगचा मठ के नाम से जानते है, जो एक बौद्ध मठ है. यहाँ तक पहुंचने में थोड़ी कठिनाईया तो है, लेकिन ऊपर जाने के बाद सारा थकान दूर हो जाता है.

अगर तिब्बती लोकल डांस, सेलिब्रेशन देखना चाहते है तो साल फरवरी महीने में यहाँ जाए क्योकि उसी समय लोसार त्यौहार बनाया जाता है. यहाँ पर रहने वाले बौद्ध लोगो के लिए यह एक नया साल का त्यौहार होता है. इन दिनों त्योहारों में पारंपरिक नृत्य, धार्मिक अनुष्ठान और तिब्बती संगीत का आयोजन होता है.

प्राचीन मेचुका मठ

मेचुका तक पहुँचने के लिए पहले पासीघाट पहुँचना होगा, फिर सड़क के रस्ते से मेचुका। मेचुका से मठ कुछ किलोमीटर की दूरी पर है और भाड़े की गाड़ी या पैदल यात्रा से पहुँचा जा सकता है.

2. सियांग नदी

पवित्र मानसरोवर झील के पास चामलुंग ग्लेशियर से निकलती है सियांग नदी, जिसके और भी कई सारे नाम है जैसे ब्रह्मपुत्र और यारग्याप चू. पहाड़ो और घाटियों से निकलते हुए इस नदी का दृश्य मनोरम है. कई जगह पर तो यह पहड़ो से ऐसी दिखती है, जैसे मानो बस इसको देखते रहो.

जब मैंने इसी नदी के अडवेंचर को देखा तो मुझसे रहा नहीं गया, वैसे नदी के आस-पास ट्रेकिंग, कयाकिंग, कैंपिंग जैसे कई सारे एडवेंचर होते है. लेकिन मुझे सबसे ज्यादा पसंद आया रिवर राफ्टिंग, जो की मैंने पहले ऋषिकेश में किया था. यहाँ पर सियांग नदी पहाड़ो और घने जंगलो से होकर गुजरती है. इसके लिए रिवर राफ्टिंग करने का अलग ही मज़ा है.

सियांग नदी रिवर राफ्टिंग

सबसे अच्छा समय है यहाँ पर जाने का अप्रैल और मई, क्योकि ये बरसात के पहले के महीने है ऐसे में यहाँ पर नदी में राफ्टिंग करना हो, या फिर नदी के किनारे कैंपिंग सबके लिए सही रहता है. हर साल यहाँ Siang River Festival मनाया जाता है, जिसके लिए पूर्व भारत, उत्तर भारत से लाखो सैलानी यहाँ पर आते है.

डिब्रूगढ़ से पासीघाट लगभग 150 किलोमीटर है, पहाड़ी रास्ते होने की वजह से 5-6 घंटे लग जाते है. पासीघाट से ही राफ्टिंग, कैंपिंग और कयाकिंग के लिए कई सारे टूर एंड गाइड मिल जाते है.

3. सिको-डिडो झरना

मेचुका से लगभग 60 किलोमीटर दूर सिको-डिडो झरना है, मेचुका से सिको-डिडो झरना तक रास्ता मानो स्वर्ग से होकर जाता हो, हर तरफ सुंदर नज़ारे सियांग नदी और हिमालय की बर्फीली चोटियों के दृश्यों ने थकान को भुला दिया।

सिको-डिडो झरने की सबसे खास बात है इसकी अछूती और शांत प्राकृतिक सुंदरता। यह झरना दो पहाड़ियों के बीच से नीचे गिरता है, और अगर पासीघाट से मेचुका की और जा रहे है. तो यह रस्ते में मिल जायेगा. सड़क से यह 5-6 किलोमीटर दूर जंगल के बाद पहाड़ियों में है, तो इसके लिए रोड पर ही बहुत सारे गाइड मिलते है. जो झरने तक ले जाने और वापस लेकर आने का 1000-1500 रुपये तक चार्ज करते है.

सिको डिडो झरना

मेरे गाइड ने बताया कि सिको-डिडो झरना स्थानीय लोगों के लिए पवित्र है और इसके आसपास कई लोक कहानिया प्रचलित हैं. मैंने वहाँ कुछ समय ध्यान करते हुए बिताया, क्योंकि झरने की आवाज़ और जंगल की शांति मेडिटेटिव अनुभव दे रही थी. सच में प्रकृति में मन की शांति मिलता है.

4. हनुमान फेस

मैंने मेचुका घाटी का ट्रिप हनुमान फेस के लिए प्लान किया था, यह के प्राकृतिक रूप से एक चट्टान के ऊपर बना फेस है. यह किसी चमत्कार से कम नहीं है, चिरंजीवी हनुमान जी का फेस एक पहाड़ पर प्रकृति से उकेर दिया है. मेचुका शहर से लगभग 10 से 12 किलोमीटर दूर भारत-चीन सीमा पर उचे एक चट्टान पर बना है, जो दूर से ही दिखाई देता है.

धार्मिक मान्यता के हिसाब से जब हनुमान जी जड़ी-बूटी लेने गए थे, तो इसी जगह पर आराम किया था. इसलिए इस जगह जाने के लिए मैंने मेचुका का यह ट्रिप प्लान किया। यहाँ पर जो सुकून मिलता है, जो अनुभव मिलता है उसका कोई मोल नहीं है. चट्टान पूरी तरह से जंगल के बीच है और हर जगह पेड़ है, लेकिन जहा पर हनुमान जी का फेस बना हुआ है वहां पर एक भी पेड़ नहीं है.

हनुमान फेस

दूर से बिलकुल साफ़ पता चलता है हनुमान जी का फेस है. इसी चमत्कार की वजह से लोग यहाँ पर आते है और जगह का नाम भी हनुमान फेस रख दिया है. मेचुका से हनुमान फेस से टैक्स या फिर बाइक राइड करके भी आसानी से पहुंचा जा सकता है.

5. यारलुंग व्यू पॉइंट

एक बार जिसने यारलुंग व्यू पॉइंट से सियांग नदी, पहाड़ और हरे भरे जंगल नज़ारा देख लिए, वो जीवन में कभी इस जगह को भूल नहीं सकता है. मेचुका से से लगभग 15 से 20 किलोमीटर दूरी पर पहाड़ी छोटी पर यारलुंग व्यू पॉइंट है. जहाँ से सियांग नदी और हिमालय के चोटियों का 360 व्यू देखने को मिलता है. ऐसा मनोरम नज़ारा मैंने अपने जीवन में नहीं देखा था इससे पहले.

यारलुंग व्यू पॉइंट

अगर कभी नैनीताल गए है, तो याद होगा घुमावदार रास्ता यारलुंग व्यू पॉइंट पहाड़ की छोटी पर है. यहाँ पहुंचने के लिए घुमावदार रास्ते से होकर गुजरना होता है. जो की बेहद खूबसूरत और थोड़ा डरावना होता है. लेकिन जब एक बार छोटी पर पहुंच कर दूर-दूर फैले पहाड़ो को देखेंगे तो सारी थकान दूर हो जाता है.

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